मुक्तक (१ )

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१।
प्यार जब से मिला खिल कमल हो गए

नैन तुम से मिले फिर सजल हो गए

थे अधूरे बहुत हम तुम्हारे बिना

तुमसे मिलकर सनम हम गजल हो गये

२।

रिश्ता हमारा था पुराना याद कर

जब प्यार का गूंजा तराना याद कर

अब तक मिलन की याद से गुलज़ार दिल

भूला हुआ प्यारा जमाना याद कर

३।
दिलों से दूर रिश्तों का कभी मतलब नहीं होता

मुहब्बत का सुनो कोई  कभी मजहब नहीं होता

कभी तो हार पाकर भी ख़ुशी मिलती बहुत हमको

हमेशा जीतने को ही यहाँ ये सब नहीं होता

डॉ अर्चना गुप्ता 

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Dr. Archana Gupta

Dr. Archana Gupta loves to give words to her thoughts in the form of poems, stories and articles. She is passionate about learning new things and admire the beauty of the world.

4 thoughts on “मुक्तक (१ )”

  1. रिश्ता हमारा था पुराना याद कर

    जब प्यार का गूंजा तराना याद कर

    अब तक मिलन की याद से गुलज़ार दिल

    भूला हुआ प्यारा जमाना याद कर
    बढ़िया ,खूबसूरत शब्द

  2. Bahut sunder…bhaavpoorna!
    “थे अधूरे बहुत हम तुम्हारे बिना

    तुमसे मिलकर सनम हम गजल हो गये”…kyaa baat hai!

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