और उड़ने को आसमान मिल गया

 

Image Source Flickr here: https://www.flickr.com/photos/stuant63/3443129398/
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सुना था ज़िंदगी कभी खत्म नही होती। हमेशा अवसर देती रहती है।  पर तब मुझे ये सब बातें खोखली सी लगती थी जब मैं अपनी जिम्मेदारियों से निवृत हो खाली खड़ी थी। उम्र मेरे हाथ से अपना हाथ छुड़ा चुकी थी। । एक लड़की का तो पूरा जीवन हालातों के साथ समायोजन में ही निकल जाता है।

अब तो वक़्त बहुत बदल गया है लड़कियों को भी पूरे अवसर मिलते है। पर हमारे जमाने में ऐसा नही था।जब छोटी थी तो सबकी तरह बहुत कुछ करने के सपने मन में पालती रहती थी। हमेशा  स्कूल कॉलेज के सभी कार्यकलापों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेती थी।  गाना गाना और नृत्य मेरा सबसे प्रिय शौक था। और पढ़ाई में भी अच्छी थी। इसी तरह कैसे बचपन और किशोरावस्था निकल गयी पता ही नही चला। फिर कॉलेज की पढ़ाई और वो सुनहरे दिन और कुछ करने की बलवती होती हुई इच्छा।

पढ़ाई लिखाई तो पूरी की। पर एक जिम्मेदार माँ बाप की तरह  मेरे मम्मी पापा ने पढ़ाई पूरी होते ही शादी कर दी। पर शादी के बाद किसी न किसी वजह से अपने उन सपनों के लिए कुछ नही कर पाई जो बचपन से बड़े होते हुए इन आँखों ने  देखे थे। पारिवारिक जिम्मेदारियों में घिरे घिरे ही वक़्त कैसे रेत  की तरह हाथ से फिसल गया पता ही नही चला।और मन की वो  कुछ करने की इच्छा मन में ही कही चिंगारी की तरह दबी रह गयी।  बीच बीच में कोशिश भी की अपने पंखों को उड़ान देने की पर हालातों ने  साथ नहीं दिया। और जब हालात अनुकूल हुए तो देखा कुछ करने की उम्र तो निकल ही चुकी।

मेरी अपनी ही डिग्रियां मुझे बस मुँह चिड़ा रही थी।  बस मन में मलाल रहने लगा कि व्यर्थ ये ज़िंदगी गँवा दी।  हालांकि बहुत कुछ पाया भी उसे देखकर खुश भी होती पर मन था की मानता ही नही था।  बस ऐसे ही क्षणों में में दिल के उद्गारों को कोरे कागज़ पर उकेरने लगी। डायरी के पन्ने  भरने लगे।

एक दिन मेरे बेटे ने अचानक उन्हें पढ़ा उसे वो अच्छी लगी।  उसने मेरा एक ब्लॉग बना दिया और मुझे उस पर लिखना सिखाया। बस फिर क्या था मैं  उस पर लिखने लगी। शुरू में कुछ परेशानी लगी पर धीरे धीरे अभ्यस्त हो गयी। बस यही मेरी ज़िंदगी का टर्निंग पॉइंट था। मुझे लगा मेरे सपनों को उड़ने के लिए आसमान मिल गया हो।

कहते है न की कोई काम पूरी शिद्दत के साथ करो तो सफलता अवश्य मिलती है।  कुछ ऐसा ही हुआ फेस बुक पर अलग २ साहित्यिक समूह से जुड़कर सीखा भी और वहां से मेरी अनेक रचनाओं को अनेकों सम्मान भी मिले जिन्होंने मेरा उत्साहवर्धन भी किया और मेरे हौंसलों को और बुलंद किया।  और ये सफर अब भी चल रहा है.. सच में मेरी तो ज़िंदगी ही बदल गयी।

डॉ अर्चना गुप्ता

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Dr. Archana Gupta

Dr. Archana Gupta loves to give words to her thoughts in the form of poems, stories and articles. She is passionate about learning new things and admire the beauty of the world.

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