मुक्तक (17 )

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(49 )
जिन्दगी ने किया किनारा है

आपने तब हमें पुकारा  है

अब भला क्या वफा निभायें हम

वक्त ये  आखिरी हमारा है

(50 )

ज़िन्दगी ने बहुत सजाया  है

हर कदम पर हमें हँसाया  है

हारने भी नहीं दिया हमको

जीतना ही हमें सिखाया है


(51)

ज़िन्दगी ने बहुत सताया है

हर कदम पर हमें रुलाया है

जीतने भी नहीं दिया हमको

हार का हार ही दिलाया है

डॉ अर्चना गुप्ता 

 

मुक्तक (16 )

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(46 )

जब भी तुम्हारे गम हमें आकर सताते हैं

आँसू हमारी आँख में मोती सजाते हैं

कैसे बतायें हाल दिल का तुम न समझोगे

हम दीप यादों के जला उत्सव मनाते हैं

(47 )

आँख में ही हमें आँसुओं को छुपाना है

वक्त बस यूँ तड़प कर हमें ये बिताना है

है सताती बहुत याद आकर तुम्हारी अब

और बाहर डराता हमें ये जमाना है

(48 )

अश्क़ ये छिप नैन में ही  छटपटाते हैं

पर तुम्हारे सामने हम मुस्कराते हैं

आह को हमने निकलने कब  दिया साथी

बस मिले ना गम तुम्हे हम ये जताते हैं

डॉ अर्चना गुप्ता            

 

मुक्तक (15 )

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(43 )

आराधना माँ की किया करते अगर

ना बेटियों के क़त्ल का रखते जिगर

यदि मान देते नारिओं को देश में

इन्सानियत की फिर  नहीं झुकती नज़र

(४४)

कर लो जय गर अपने मन पर छू लोगे ऊंचाईयाँ

कर लो मन को स्वच्छ तभी तो होंगी दूर बुराईयाँ

मुमकिन है अपने भारत को स्वच्छ बनाना दुनियाँ में

यदि हर हिन्दुस्तानी सोचे ना होंगी कठिनाईयाँ

(45 )

आवास वही रहता परिवार बदल जाते

मंच वही रहता है किरदार बदल जाते

बदले सूर्य न चाँद सितारे आकाश धरा

पर पीढ़ी दर पीढ़ी व्यवहार बदल जाते

डॉ अर्चना गुप्ता

 

मुक्तक (14 )

images (57)

(40 )

प्यार हमसे जब किया फिर क्यूँ बनी ये दूरियाँ

जान लेते काश हम भी क्या   हुईं मजबूरियाँं

मानता ये मन नहींअब  लाख समझाऊँ इसे

तुम बता दो तोड़ देंगे पाँव की सब बेड़ियाँ

(41 )

लाल  कपड़े में बँधे  जो ख़त तुम्हारे

जान से भी कीमती है वो हमारे

पास अब तुम जब नहीं हो दूर हम से

आज जीने के बने हैं ये सहारे

(42 )

किताब में ख़त पाना याद है

गुलाब का खिल जाना  याद है

नज़र मिली  तुमको देखा वहाँ

जवाब में मुस्काना याद है

—-डॉ अर्चना गुप्ता ——