(70)
काँटा हूँ चुभता रहता हूँ
फूलों से कब कुछ कहता हूँ
आकर रस पी जाता भँवरा
बेबस हो मैं सब सहता हूँ
(71)
हाथ सर पर आपका जब से मिला हमको
ना रहा भगवान से कोई गिला हमको
मित्र भी हैं मार्गदर्शक भी हमारे हैं
कर्म का कोई मिला अच्छा सिला हमको
(72)
सब करें मिल सफाई चले आइये
दूर करने बुराई चले आइये
देश को स्वच्छ अपने सभी मिल करें
छोड़ अपनी लड़ाई चले आइये
डॉ अर्चना गुप्ता
हाथ सर पर आपका जब से मिला हमको
ना रहा भगवान से कोई गिला हमको
मित्र भी हैं मार्गदर्शक भी हमारे हैं
कर्म का कोई मिला अच्छा सिला हमको
बहुत सुन्दर अर्चना जी
wah