(76 )
भ्रूण हत्या की खिलाफत हम सदा करते रहेंगे
बेटियों का हक़ दिलाने के लिए लड़ते रहेंगे
जन्म लेकर इस धरा पर जी रही हैं रोज मर मर
कब तलक हम देख अत्याचार यूँ डरते रहेंगे
(77 )
माँ की अटकी सांस है
पुत्र मिलन की आस है
बेटे का कांधा मिल जाये
करती ये अरदास है
(78 )
जीवन की कैसी माया है
हर ओर अँधेरा छाया है
छोड़ गये सब संगी साथी
ये कैसा दिन अब आया है
******डॉ अर्चना गुप्ता *******