(79 )
जी रहे स्वप्न के गाँव में
आपके प्यार की छाँव में
जब मिले आपसे हम सजन
बज उठी झांझरी पाँव में
(80 )
हंस की रात रानी सुनो
दो दिलों की कहानी सुनो
चाँद भी आज शरमा गया
हो गईं तुम दिवानी सुनो
(81 )
आसमां भी मुग्ध होकर इस धरा पर छा गया है
खूबसूरत सा समां ये आज दिल को भा गया है
झूमते से ये नज़ारे प्रेम दीवाने लगें अब
गीत गाने प्यार के जैसे समय खुद आ गया है
डॉ अर्चना गुप्ता