(85 )
दोस्त जब बादलों को बनाया हमने
जो कलम ने लिखा वो सुनाया हमने
एक सैलाब सा आ गया धरती पर
‘अर्चना’ हाल जब भी बताया हमने
86 )
तन्हा हमारा दिल बिचारा हो गया
तुम से बिछुड़ना फिर गँवारा हो गया
परछाइया भी अब डराती हैं हमें
इन आँसुओं का ही सहारा हो गया
(87 )
लोग कहते चाँद में ये दाग है
चाँद ही दिल में लगाये आग है
चाँद सा मुखड़ा कहा , फिर दोष भी
इस जहाँ का भी अजब ये राग है
डॉ अर्चना गुप्ता