४.
शब्द से सौ – वार डरते घाव भी हैं
शब्द बन हथियार करते घाव भी हैं
टूट जाओ गर किसी की बात से तुम
शब्द बनकर प्यार भरते घाव भी हैं
५।
कोई दंश सर्प का झेल रहा
कोई सँग सुखों के खेल रहा
है कर्मों का सब लिखा प्रिये
कोई पास तो कोई फेल रहा
६।
जो पल गुजर गए मिलते फिर कहाँ
जो फूल गिर गए खिलते फिर कहाँ
ये सत्य है कहानी दिल से सुनो
जो दीप बुझ गये जलते फिर कहाँ
डॉ अर्चना गुप्ता