(28)
इस जीवन में चारों ओर
मैं ही मैं का देखा शोर
इस मैं को तुम देना छोड़
नाजुक है जीवन की डोर
(29)
नहीं पाते समझ वो भावना मेरी
बताऊँ अब किसे क्या कामना मेरी
करूँ तो प्यार का इजहार कैसे मैं
अधूरी रह न जाये साधना मेरी
(30 )
कभी हमारा अपनापन देखा करो
कभी हमारे अपने बन देखा करो
हमें नहीं चाहा तुमने यूँ तो मगर
कभी हमारा टूटा मन देखा करो
डॉ अर्चना गुप्ता
नहीं पाते समझ वो भावना मेरी
बताऊँ अब किसे क्या कामना मेरी
करूँ तो प्यार का इजहार कैसे मैं
अधूरी रह न जाये साधना मेरी
बहुत बढ़िया
thanx
Very nice!