(100)
सुनो दर्द में मुस्कुराने लगे हम
गजल तो कभी -गीत गाने लगे हम
नया साल आया लिये आज खुशियाँ
तुम्हें पा प्रिये खिलखिलाने लगे हम
(101)
नया साल आया चमन को सजालो
जो रूठे हुये हैं उन्हें तुम मनालो
गया वक्त वापस नहीं आएगा फिर
यहाँ हर ख़ुशी को गले से लगालो
(102)
नैनों में आसूँ भर आये
साथ पुराना छूटा जाये
यादों में तुम सदा रहोगे
विदा तुम्हारी हमें रुलाये
डॉ अर्चना गुप्ता