(142 )
तैरते- तैरते मैं किधर आ गया
याद की जब नदी में भँवर आ गया
रात भर नींद से जागती आँख में
दर्द जो भी छिपा सब नजर आ गया
(143 )
दर्द मिलने अभी हमें आया
साथ में प्यास भी मगर लाया
आप से दूर अब रहें कैसे
दिल अभी तक समझ नहीं पाया
(144 )
गीत हो तुम ताल बन हम तो किया करते धमाल
भाव हो तुम शिल्प बन हम तो किया करते कमाल
ईश की ही है कृपा जो बन गये अंजान मीत
दो नहीं हम एक हैं जोड़ी हमारी बेमिसाल
डॉ अर्चना गुप्ता