(160 )
यही तो मान है मेरा
यही सम्मान है मेरा
मुझे है गर्व भारत पर
यही अभिमान है मेरा
(161 )
कभी पलकें बिछाती है
कभी ये गुल खिलाती है
बड़ी ही है अजब दुनियाँ
ये’काँटे भी चुभाती है
(162 )
हर घड़ी में मुस्कुराना चाहिए
वक़्त जैसा हो निभाना चाहिए
जिन्दगी में पर किसी का भी नही
भूल से ये दिल दुखाना चाहिए
डॉ अर्चना गुप्ता