(169 )
चाँद तुझको मान तेरी चाँदनी में झूम लूँ
या तुझे सूरज समझ कर धूप बनकर घूम लूँ
मिट गया तम ज़िन्दगी का फूल खुशिओं के खिले
मन करे भर कर हथेली में तुझे मैं चूम लूँ
(170 )
बिटिया से साँझ सवेरा है
बिटिया खुशियों का डेरा है
दुनिया ये ख़त्म शुरू उस पर
क्यों गम ने उसको घेरा है
(171 )
माँ भवानी का सजा दरबार देखो
माथ टीका औ गले का हार देखो
बज रहे घड़ियाल घंटे मंदिरों में
हो रही हर ओर जय -जयकार देखो
डॉ अर्चना गुप्ता