(16)
बसने इन नैनों में आ गया कोई
बनके दिल की धड़कन छा गया कोई
मैं क्या जानूँ ये सब कुछ हुआ कैसे
चुपके से इस मन को भा गया कोई
(17)
चाहा है बस हमने तुम को
भँवरा तो ना समझो हम को
हम तो हैं बस प्रेम पुजारीँ
सहते रहते हैं हर गम को
(18)
यादें तुम्हारी ,जिन्दगी मेरे लिए
हैं जान से भी कीमती मेरे लिए
मैंने रखा उनको हिफाजत से सदा
वो हैं निशानी प्यार की मेरे लिए
डॉ अर्चना गुप्ता
बहुत सुंदर पंक्तिया 🙂