(190 )
चमन में फूल लाखों हैं मगर इक दिल लुभाता है
किया कब प्यार जाता है , हो’ अपने आप जाता है
नहीं सीधी डगर है प्यार की दिल जानता है पर
कहाँ परवाह करता वो ख़ुशी से जां लुटाता है
(191 )
होता क्या संसार अगर वो प्यार नहीं देता
जीत दिलाता सबको लेकिन हार नहीं देता
बस नफरत ,लालच के ही शूल चमन में होते
मानवता का यदि जग में व्यवहार नहीं देता
(192 )
पहने हुये वो तो नकाब आये
बस प्यार का देने जवाब आये
देखी जरा सी जो झलक लगा ये
जैसे कली पर गुल शबाब आये
डॉ अर्चना गुप्ता