(199 )
घर को केवल घर कब जाना
घर को मैंने मंदिर माना
बच्चों की खुशिओं में जन्नत
माँ बनकर मैंने पहचाना
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बनाते सैकड़ों झूठे बहाने
गए थे गोपियों को तुम सताने
नहीं अब बोलती कान्हा सुनो मैं
करो जितने जतन पर मन न माने
(201 )
क्यों पुराने सवाल करते हो
बेबजह ही बवाल करते हो
जीत किस की हुई बताओ मत
तोड़कर दिल कमाल करते हो
डॉ अर्चना गुप्ता