(220 )
बड़ा अभिमान था खुद पर झुका कर सर नहीं देखा
कमाई खूब दौलत धर्म अपना पर नहीं देखा
समय की मार तो देखो न काया है न माया है
सभी ने साथ अब छोड़ा तुझे मुड़ कर नहीं देखा
(२२१)
लगेंगी ठोकरें हर पल सँभलना है यहाँ हमको
सफलता गर नहीं मिलती न डरना है यहाँ हमको
परीक्षा खूब लेती हर कदम पर ज़िन्दगी लेकिन
लगा कर हौंसलों के पंख उड़ना है यहाँ हमको
(222 )
हमारे आँसुओं को तुम सदा हथियार कहते हो
हमारी भावनाओं को सदा व्यापार कहते हो
बहे भी हैं अगर आंसू तुम्ही से रूठ कर प्रियतम
नहीं क्यों प्यार का बोलो उसे इजहार कहते हो
डॉ अर्चना गुप्ता
Really too good nd very true