(73)
आज भी ये चाँद पूछे इस विरह में क्यों जले हम
क्यों न थामा हाथ जब थे रात पूनम की मिले हम
हसरतें मन में रहीं हैं ख्वाब भी पलते रहे सब
मीत अब कैसे जियेंगे जब जमाने ने छले हम
(74)
पा लिया है प्यार हमने आपसे बस ये कहेंगे
हो ख़ुशी या गम सदा ही साथ मिलकर हम सहेंगे
जुड़ गया प्रिय प्रेम का अनमोल बंधन आपसे ही
अब बिछुड़ कर जिन्दगी भर हम भला कैसे रहेंगे
75)
क़त्ल भी करते हो तो आँख झुका लेते
इश्क का तुम भी ये क्या खूब मज़ा लेते
जान के भी सब कुछ तुम अंजान बने हो
हार के दिल अपना हम जीत मना लेते
डॉ अर्चना गुप्ता