(115 )
कहने को तो झंडे का सत्कार किया करते हो
तेरा मेरा कहकर फिर तकरार किया करते हो
सतरंगी दुनियाँ में देखो सारे रंग सुनहरे
केवल अपने रंगों से क्यों प्यार किया करते हो
(116 )
मेरे भारत का गौरव बन खुद गर्व हिमालय करता है
नदिया के सीने में भी तो नक्शा भारत का बसता है
जो लाल किले पर लहराता वो शान हमारे जीवन की
हर भारतवासी को झंडा प्राणों से प्यारा लगता है
(117 )
दीवार खड़ी जो धर्मों की उसको आज गिराना होगा
जन गन मन अधिनायक जय का गान मधुर अब गाना होगा
पाई हमने जो आज़ादी वीरों की कुर्बानी देकर
उसको श्रम के फूलों से फिर हमको आज सजाना होगा
अर्चना गुप्ता