(166 )
नफरतों को छोड़कर बस प्यार करना चाहिए
यदि मिले कोई दुखी संताप हरना चाहिए
ज़िन्दगी है चार दिन की ध्यान ये रखना सदा
सिर्फ अपने फर्ज पर हर वक्त मरना चाहिए
(167 )
ओट में खुद को छिपाया चाँद ने फिर आज देखो
रात का घूँघट उठाया चाँद ने फिर आज देखो
खो गयी थी चाँदनी उसकी अमावस में कहीं
ढ़ूँढ कर सीने लगाया चाँद ने फिर आज देखो
(168 )
जुल्म कितना कर गये
नैन आसूँ भर गये
हम बिछड़कर आपसे
जीते’जी ही मर गये
डॉ अर्चना गुप्ता