मुक्तक (56 )

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(166 )

नफरतों को छोड़कर बस प्यार करना चाहिए

यदि मिले कोई दुखी संताप हरना चाहिए

ज़िन्दगी है चार दिन की ध्यान ये रखना सदा

सिर्फ अपने फर्ज पर हर वक्त मरना चाहिए

(167 )

ओट में खुद को छिपाया चाँद ने फिर आज देखो

रात का घूँघट उठाया चाँद ने फिर आज देखो

खो गयी थी चाँदनी उसकी अमावस में कहीं

ढ़ूँढ कर सीने लगाया चाँद ने फिर आज देखो

(168 )

जुल्म कितना कर गये

नैन आसूँ भर गये

हम बिछड़कर आपसे

जीते’जी ही मर गये

डॉ अर्चना गुप्ता

 

मुक्तक (55 )

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(163 )

प्रिय  प्यार की अब खो रही पहचान है
बस ढूढ़ता मानव नफा नुकसान है
चाहे कमा लो धन यहाँ भरपूर तुम
लाती लबों पर प्रीत ही मुस्कान है
(164 )

जब रूठ गए आप मनाया न गया बस
जब छोड़ गए साथ बुलाया न गया बस
हम राह चले आज अकेले जो सफर में
तो बीत गया वक़्त भुलाया न गया बस

(165 )

वर्ल्ड कप पर आज सबकी ही नज़र है
कौन जीता कौन हारा ये खबर है
जोश में देखो हमारे सब खिलाड़ी
खेल पर भी दिख रहा उसका असर है

डॉ अर्चना गुप्ता