(40 )
प्यार हमसे जब किया फिर क्यूँ बनी ये दूरियाँ
जान लेते काश हम भी क्या हुईं मजबूरियाँं
मानता ये मन नहींअब लाख समझाऊँ इसे
तुम बता दो तोड़ देंगे पाँव की सब बेड़ियाँ
(41 )
लाल कपड़े में बँधे जो ख़त तुम्हारे
जान से भी कीमती है वो हमारे
पास अब तुम जब नहीं हो दूर हम से
आज जीने के बने हैं ये सहारे
(42 )
किताब में ख़त पाना याद है
गुलाब का खिल जाना याद है
नज़र मिली तुमको देखा वहाँ
जवाब में मुस्काना याद है
—-डॉ अर्चना गुप्ता ——