(43 )
आराधना माँ की किया करते अगर
ना बेटियों के क़त्ल का रखते जिगर
यदि मान देते नारिओं को देश में
इन्सानियत की फिर नहीं झुकती नज़र
(४४)
कर लो जय गर अपने मन पर छू लोगे ऊंचाईयाँ
कर लो मन को स्वच्छ तभी तो होंगी दूर बुराईयाँ
मुमकिन है अपने भारत को स्वच्छ बनाना दुनियाँ में
यदि हर हिन्दुस्तानी सोचे ना होंगी कठिनाईयाँ
(45 )
आवास वही रहता परिवार बदल जाते
मंच वही रहता है किरदार बदल जाते
बदले सूर्य न चाँद सितारे आकाश धरा
पर पीढ़ी दर पीढ़ी व्यवहार बदल जाते
डॉ अर्चना गुप्ता