(55 )
अब निकल ने लगा दम चले आइये
देख ने जो मिला गम चले आइये
लौ बुझी जा रही ज़िन्दगी की सनम
फिर मिलेंगे नहीं हम चले आइये
(56 )
तेरी गली में पाँव रुक रुक जाते हैं
छत पर नज़र दो नैन अब भी आते है
वो देखना तेरा हमें यूँ छिप छिप कर
हम याद कर ये अश्क रोक नहीं पाते हैं
(57 )
अब कभी हम ना चुभेंगे शूल से
देखना तुम आ मिलोगे कूल से
वक्त रहता है सदा कब एक सा
एक दिन हम भी खिलेंगे फूल से
***डॉ अर्चना गुप्ता *************
खूबसूरत पंक्तियाँ अर्चना जी
Very Beautiful verses!