(61 )
खिली ये चांदनी अब भी हमें छूकर जलाती है
पिया तुम क्यों नही आते तुम्हारी याद आती हैै
तुम्हे चाहा सदा इस जान से ज्यादा हमेशा ही
मगर ये बेरुखी हर पल हमारा दिल दुखाती है
(62 )
तुम साथ हो तो वक्त भी क्या खास होता है
वरना कदम भी मील का अहसास होता है
यादें सताती इस कदर तुमको बतायें क्या
तन्हाइयों में साथ का आभास होता है
(63 )
है नहीं मुमकिन कसम मैं तुम्हारी मान लूँ
यूँ बिछुड़ कर मैं तुम्हें मान अब अंजान लूँ
तुम गये तो ले गये प्राण मेरे साथ में
अब बताओ मौत को जिन्दगी क्या जान लूँ
डॉ अर्चना गुप्ता**********