दोस्तों के साथ कुछ अनमोल पल

friendship

जो क्षण हम जी रहे होते हैं वो उस समय हमारे लिए अत्यंत साधारण होते हैं पर वही क्षण विगत होते ही हमारे लिए असाधारण बन जाते हैं। और यही प्रक्रिया सतत चलती रहती है। इसी तरह जीवन भी व्यतीत होता चला जाता है। जो खुद बच्चे होते हैं वो वक़्त के साथ साथ खुद माता पिता बन जाते हैं और और अपने बच्चों के बचपन में अपना बचपन जी लेते हैं।

पर बचपन के सभी साथी मित्र स्कूल जीवन पर्यन्त याद रहते हैं चाहे वो हमसे कोसों दूर हो। जब कभी वक़्त मिलता है या तन्हाई होती है यादों के मेले सज ज़ाते हैं। और हम उस मेले में कहीं खो से जाते हैं।

ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ। जीवन की जिम्मेदारिया संभालते सँभालते उन पलों को भी जेहन में समेटते समेटते वक़्त अपनी तेजी से बढ़ रहा था । और जब इन सबसे निवृत हुई तो अपने जीवन के ४० बसंत पार कर चुकी थी। खाली वक़्त काटने की ग़रज़ से नेट की दुनिया से दोस्ती करली।

ये नेट मेरा पहला एक ऐसा दोस्त मिला जिसके पास मुझे देने के लिए बहुत कुछ था। ज्ञान के साथ साथ मनोरंजन भी। एक सच्चा साथी। जिसने मेरे खालीपन को काफी हद तक भर दिया। परन्तु ये तो मेरा इतना अच्छा दोस्त साबित हुआ की इसने मुझे बचपन के बिछड़े साथियों से भी मिला दिया। इस तरह मुझे बचपन का अनमोल खज़ाना मिल गया।

अपने पुराने दोस्तों सहेलियों से मिलकर तो खुशियों की कोई थाह ही नही थी। लग रहा था जैसे हम सभी उम्र के सोलहवें पड़ाव में पहुँच गए हो। खूब बातें करना हंसना एक दूसरे के बारे में जानने की उत्सुकता बस ख़ुशी ही ख़ुशी। पर मन आकाश तो अनंत है।ये कब पूरा होता है। अब मिलने की इच्छा जोर मारने लगी। अंत में नॉएडा सेंटर प्लेस होने के कारण वहां GIP मॉल में मिलने का एक कार्यक्रम तय किया गया।

बहुत उत्साहित थे हम सभी। बस आँखों में एक कल्पना की कैसा लगेगा जब इतने सालों के बाद मिलेंगे। पर जब मिले तो ऐसा लगा ही नही की २५ साल के लम्बे अंतराल के बाद मिल रहे हैं। वही शरारतें वही चपलता वही ठहाके। मन इतना हल्का की खुद के अंदर ढूंढने से भी नही महसूस हो रहा था। लग रहा था पता नही कितनी ऊर्जा अपने अंदर भर गयी है। उम्र तो डरकर भागकर एक ओर जाकर खड़ी हो गयी थी। वो ४-५ घंटे का समय हम सभी के लिए अविस्मरणीय समय था।
इस मुलाकात ने कितना सकारात्मक प्रभाव मझपर डाला था ये मेरे लिए शब्दों में बताना नामुमकिन है। फिर हम एक दूसरे से विदा हुए फिर मिलने का वादा लेकर। पर ये साथ ये मिलन हमारे लिए खुशियों का अथाह सागर लेकर आया था।

डॉ अर्चना गुप्ता

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Dr. Archana Gupta

Dr. Archana Gupta loves to give words to her thoughts in the form of poems, stories and articles. She is passionate about learning new things and admire the beauty of the world.

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