
सुबह की सैर भी  कमाल की होती है।  सब ओर खुशनुमा सा वातावरण।  सूरज की तलाश मे नया २ जन्म लेता सवेरा  उसकी किरणों को अपनी बाँहों मे लेने को आतुर सा। अंगड़ाई सी लेते अभी अभी सोकर उठें पेङ ,पौधे ,फूल पत्ते । चहचहाते पक्षी और कोयल की कुहू कुहू का  मधुर स्वर। कहीं मंदिर से आती घंटों की आवाज। मंद मंद चलती उन्मुक्त पवन। ये सब जैसे मन में नई स्फूर्ति और चेतना का प्रवाह कर देते  है। रोज मैं   नये नये अनुभव लेते हुए इन सब का आनन्द उठाती हूँ। बहुत लोगों से भी मिलना होता है। कोई दौड़ लगा रहा होता है , कोई कानोँ  मे ईयरफोनलगाये  हुए अपनी ही धुन मे चला जा रहा होता है। कुछ समूह में राजनीतिक वार्तालाप करते हुए होते है,  लेडीज घर गृहस्थी की बाते करते हुए,  कुछ औरोँ की बगिया से चुपके  से पुष्प तोड़ते   हुए ,तो लड़के सलमान खान बनने की धुन मे व्यायाम करते हुए।  मुझे बड़ा ही मज़ा आता है ये सब देखने मे।।मैं सैर करती रहती हूँ और मेरे साथ साथ चलते हैं अनगिनत विचार। कभी २ ऐसे विचार भी होतें हैं कि खुद ही मन ही मन मुस्कुरा उठतीं हुँ और कभी यही विचार कुछ सोचने के लिये भी मज़बूर कर देते हैं। एक ऐसी ही घटना और विचार से आपको वाकिफ कराना  चाहतीं हूँ ।
कुछ लोग अपने लाड़ प्यार से पाले  डॉगी को  भी साथ लेकर घूमते हैँ।  जब उन डॉगीज़  को देखती हूँ तो  लगता है ये भी कुछ हमारी तरह ही सोचते हैं और आपस में बातें करते हैं। जब अपने मालिक के साथ गर्व से चलता हुआ जंज़ीर से बंधा नवाबी डॉगी जब स्ट्रीट डॉग से मिलता  है तो उसकी आँखों मे मनुष्य की भांति ही गर्व सा दिखता है जैसे हुं, तुम कहाँ हम कहाँ। और स्ट्रीट डॉग भी उसे यूँ देखता है मानो कह रहा हो, क्या  किस्मत पाई है इसने, क्या ठाट है इसके, क़ाश हमारे भी  कर्म  बढ़िया होते तो हम भी  ऐसे हीं  आलिशान बंगलें मे पल रहे होते ।अक्सर स्ट्रीट डॉगी इकट्ठे होकर  किसी नवाबी डॉग  को देखकर उस पर सम्मिलित   स्वर मेँ भोंकना शुरु कर देते हैं, मानो अपना फ़्रस्टेशन निकाल रहे हों कि  बड़ा आया नवाब कहीं का। फिर तो उसे बचाने में मालिक के भी पसीने छूट जाते हैं।  कभी कभी  नवाबी डॉगी स्ट्रीट डॉग से खेलना भी चाहता है पर मालिक  की डांट  खाकर हट जाता है मानो समझ गया हो कि अपने स्तर के लोगों मे उठो बैठो।
कल एक ७-८ साल के बच्चे को कूड़े के ढ़ेर पर बैठें देखा। कुछ बीन रहा था।  शायद भूखा भी  था क्योकि   उसमेँ से कुछ बीन बीन कर खा भी  रहा था। तभी एक नवाबी डॉगी भी वहां आकर कुछ सूंघने लगा। मालिक ने कस कर डांटा ,नो बेबी ये गन्दा है चलो यहॉँ से और जेब से डॉगी स्पेशल बिस्कुट उसको खिला दिये।  डॉगी तो चला गया वहां से पर वो बच्चा सूनी सूनी आँखों से देखता रहा उसे जाते हुए ,मानो कह रहा हो काश में कुत्ता होता।।या सोच रहा हो  नहीं चाहिए ये मनुष्य योनि, मुझे तो कुत्ता ही बनाना ऐसा वाला।  फिर लग गया वो बीनकर कुछ खाने मे।किंकर्तव्यविमूढ़ सी मै घर वापस  आ गयी लेकिन सोचती रह गयी क्या है ये ज़िंदगी ?????????