(67 )
तुमको मुहब्बत से कहाँ सम्वाद करना है
तुमसे बहस करना समय बरबाद करना है
तुमको समझ जब आयगी ये बात मेरी तो
उस वक्त तुमको बस मुझे ही याद करना है
(68 )
ये दिल सबकी खातिर दुखता कब है
इस दिल में हर कोई बसता कब है
टूट बिखर जाये इक बार ठसक से
कितना भी जोड़ो फिर जुड़ता कब है
(69 )
आज करना चाँद मत कोंई बहाना
आज तुझको ही निहारेगा जमाना
सब दुआयें प्यार की स्वीकार कर के
बस ख़ुशी से साथ तू सबका निभाना
डॉ अर्चना गुप्ता