देख भीगी पलकें ना सोच लेना
गम है हमें कोई
खुशियां भी भिगो जाती हैं
इन अँखियों को यूँ ही
देख यूँ अकेले ना सोच लेना
सताती है तन्हाई
ख्वाबों में बसे रहते हो
हरदम तुम यूँ ही
उठे हाथ देख ना सोच लेना
तमन्ना और कोई
दुआ में उठ जाते हैं
शुक्रिया करने यूँ ही
तुम तुम ना रहे ना सोच लेना
शिकवा हमें कोई
हम भी ना हम रह पाये
वक़्त के साथ यूं ही
ना डर मौत से तो न सोच लेना
डर ज़िंदगी का कोई
जो मिलना था वो मिल गया
बाकी गवां दिया यूँ ही
डॉ अर्चना गुप्ता
Incredible work MOM. One of your best. I’m speechless. Such a heart-touching poem. It is indeed one of your best..:)
Incredible work MOM. I’m speechless. Such a heart-touching poem. It is indeed one of your best..:)
love u beta
I agree with Anubhuti
thanx amit ji
very beautiful poem 🙂
थंक्स