(34 )
बिना श्रद्धा नहीं जीवन दृष्टि
बिना श्रद्धा नहीं सुख की वृष्टि
रखो श्रद्धा गुरू हो या ईश
तभी सुन्दर बनेगी ये सृष्टि
(35 )
हो रही सब तरफ पाप की गर्जना
हम मिटा दें इसे हो सफल अर्चना
हाथ पर हाथ रख बैठना अब नहीं
है हमारी यही आप से प्रार्थना
(36 )
नेता जब जब भरते पर्चा
बस मुद्दों पर करते चर्चा
वादे कर जाते बड़े बड़े
कहने में लगता क्या खर्चा
डॉ अर्चना गुप्ता
So true…and timely:)