(88 )
अपनों से कब अधिकार मिला
दिल दर्द मिला कब प्यार मिला
सोने चाँदी की दुनियाँ में
बस जख्मों का उपहार मिला
(89)
वक्त की मार को कौन सह पाया है
दर्द अपने यहाँ कौन कह पाया है
तुम समझ लो मिली साँस गिनती की हैं
यूँ हमेशा यहाँ कौन रह पाया है
(90)
मौसम ने ऐसा वार किया
सर्दी में अत्याचार किया
रिमझिम रिमझिम मेघा बरसे
ठिठुरन से यूँ बेज़ार किया
डॉ अर्चना गुप्ता