(94 )
कुटिल इन्सान कब होता कुटिल तो चाल होती है
बुराई देखकर इंसानियत बे हाल होती है
करो तुम नेह की बर्षा पिघल जाये कुटिल मन भी
भरा हो नेह दिल में तो मनुजता ढाल होती है
(95 )
वार हथोड़े के जब जब पड़ते है
हम सुन्दर मूरत को ही गढ़ते हैं
मत मारो हमको यूँ ठोकर प्यारे
पत्थर के देवों पर जल चढ़ते हैं
(96 )
सुहाने नज़ारे सुहाना सफ़र है
सजेंगे सितारे सभी को खबर है
ख़ुशी का खजाना लिये सन्त आया
सभो की टिकी आज उस पर नज़र है
डॉ अर्चना गुप्ता